ओ हंसिनी मेरी हंसिनी 
कहां उड़ चली, मेरे अरमानों के पंख लगाके 
आजा मेरी सांसों में महक रहा रे तेरा गजरा 
आजा मेरी रातों में लहक रहा रे तेरा कजरा 
ओ हंसिनी ।। 
देर से लहरों में कमल संभाले हुए मन का 
जीवन ताल में भटक रहा रे तेरा हंसा 


ओ हंसिनी ।।