तुम्‍हें याद होगा कभी हम मिले थे


मुहब्‍बत की राहों में संग-संग चले थे 
भुला दो मुहब्‍बत में हम-तुम मिले थे   
सपना ही समझो कि मिल के चले थे । 
डूबा हूं ग़म की गहराईयों में 
सहारा है यादों का तन्‍हाईयों में  
कहीं और दिल की दुनिया बसा लो 
क़सम है तुम्‍हें वो क़सम तोड़ डालो  
तुम्‍हें याद होगा ।।  
अगर जिंदगी हो अपने ही बस में 
तुम्‍हारी क़सम ना  भूलें वो क़स्‍में 
तुम्‍हें याद होगा ।।