हर घड़ी ढल रही शाम है जिंदगी 
दर्द का दूसरा नाम है जिंदगी 
आसमां है वहीं और वही है ज़मीं 
है मकां ग़ैर का...ग़ैर है या हमीं 
अजनबी आंख सी आज है जिंदगी 
दर्द का दूसरा नाम है जिंदगी।। 

क्‍यों खड़े रहा में, राह भी सो गई 
अपनी तो छांह भी, अपने से खो गई 
भटके हुए पंछी की रात है जिंदगी 
दर्द का दूसरा नाम है जिंदगी।।