Posted by Akhilesh jha in on 10:44
कहता है कौन मेरी तबियत उदास है
समझेगा कौन उसकी जुदाई भी रास है
आंखों में शक्ल सांसों में ज़ुल्फों की है महक
वो दूर जा चुका है मगर मेरे पास है
नये घड़े के पानी से जब मीठी खुश्बू आती है
यूं लगता है जैसे मुझको तेरी खुश्बू आती है
कितने ही युग बीत गये हैं उसको अपने गांव गये
आज भी मेरे कमरे से, मेंहदी की खुश्बू आती है
लोग जिसे पत्थर कहते हैं, मैंने उसको फूल कहा
जिसने जैसा उसको वैसी खुश्बू आती है
वो बचपन, वो सावन के दिन, वो झूले, वो आम के पेड़
भूली-बिसरी उन यादों की आज भी खुश्बू आती है
बारिश का मौसम जब आये, दिल में आग लगाये 'नसीम'
मुझको हर भीगे झोंके से, उसकी खुश्बू आती है
समझेगा कौन उसकी जुदाई भी रास है
आंखों में शक्ल सांसों में ज़ुल्फों की है महक
वो दूर जा चुका है मगर मेरे पास है
नये घड़े के पानी से जब मीठी खुश्बू आती है
यूं लगता है जैसे मुझको तेरी खुश्बू आती है
कितने ही युग बीत गये हैं उसको अपने गांव गये
आज भी मेरे कमरे से, मेंहदी की खुश्बू आती है
लोग जिसे पत्थर कहते हैं, मैंने उसको फूल कहा
जिसने जैसा उसको वैसी खुश्बू आती है
वो बचपन, वो सावन के दिन, वो झूले, वो आम के पेड़
भूली-बिसरी उन यादों की आज भी खुश्बू आती है
बारिश का मौसम जब आये, दिल में आग लगाये 'नसीम'
मुझको हर भीगे झोंके से, उसकी खुश्बू आती है
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