Posted by Akhilesh jha in on 11:57
यूं तेरी रहगुज़र से दीवानावार गुज़रे
कांधे पे अपने रखके अपना मज़ार गुज़रे
बैठे हैं रास्ते में दिल का खंडहर सजाकर
शायद इसी तरफ़ से एक दिन बहार गुज़रे
बहती हुई ये नदिया घुलते हुए किनारे
कोई तो पार उतरे कोई तो पार गुज़रे
तूने भी हमको देखा, हमने भी तुझको देखा
तू दिल ही हार गुज़रा हम जान हार गुज़रे
कांधे पे अपने रखके अपना मज़ार गुज़रे
बैठे हैं रास्ते में दिल का खंडहर सजाकर
शायद इसी तरफ़ से एक दिन बहार गुज़रे
बहती हुई ये नदिया घुलते हुए किनारे
कोई तो पार उतरे कोई तो पार गुज़रे
तूने भी हमको देखा, हमने भी तुझको देखा
तू दिल ही हार गुज़रा हम जान हार गुज़रे
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