सात समंदर पार से गुडियों के बाज़ार से 
अच्‍छी सी गु‍डि़या लाना गुडिया चाहे ना लाना । 
पप्‍पा जल्‍दी आ जाना ।। 
तुम परदेस गये जब से, बस ये हाल हुआ तब से 
दिल दीवाना लगता है, घर वीराना लगता है 
झिलमिल चांद-सितारों ने, दरवाज़ों दीवारों ने 
सबने पूछा है हमसे, कब जी छूटेगा हमसे 
कब जी छूटेगा हमसे कब होगा उनका आना, 
पप्‍पा जल्‍दी आ जाना ।। 
मां भी लोरी नहीं गाती, हमको नींद नहीं आती 
खेल-खिलौने टूट गए, संगी-साथी छूट गये 
जेब हमारी ख़ाली है, और आती दीवाली है 
हम सबको ना तड़पाओ, अपने घर वापस आओ 
और कभी फिर ना जाना, 
पप्‍पा जल्‍दी आ जाना ।। 
ख़त ना समझो तार है ये, काग़ज़ नहीं है प्‍यार है ये 
दूरी और इतनी दूरी, ऐसी भी क्‍या मजबूरी 
तुम कोई नादान नहीं, तुम इससे अंजान नहीं 
इस जीवन के सपने हो, एक तुम्‍हीं तो अपने हो 
सारा जग है बेगाना, 
पप्‍पा जल्‍दी आ जाना ।।